India has always supported peace, stability, unity and development of
Nepal. In the last two decades, we all have witnessed violence,
instability, internal struggle and political discord in Nepal, as well
as its negative consequences. Nepal had not yet emerged from this
crisis, when a major earthquake in April 2015 wreaked havoc and caused
major destruction in the country.
Whether the crisis is political or natural, Government of India has
always desired prosperity and well-being of Nepal, and considers itself
duty-bound to stand by Nepal in any adversity.
For the last few months, the political leadership of Nepal has been
intensively engaged in the critically important task of Constitution
drafting, through mutual consultations and dialogue.
Encouraging voices were heard from Nepalese leaders from afar that
the Constitution will carry along all regions and sections, and will
become the focal point of a progressive, modern and united Nepal. Coming
from all the political leaders, these voices make all of us in India
very happy.
The Nepalese political leadership has shown wisdom and maturity in
overcoming several challenges over the last few years, resulting in
substantial gains in the peace process and consolidation of inclusive
multi-party Constitutional democracy through two successful elections.
We laud the achievements that Nepal has made in the peace process.
We welcome and commend the recent progress achieved by the
Constituent Assembly in the Constitution-drafting process wherein
several contentious issues have been resolved.
India is concerned over the ongoing protests and strife in several
parts of Nepal. Horrific violence has once again shaken Nepal’s soul.
Whether the victims are Nepali citizens or government officials, the
blood spilt in all the incidents was Nepalese. When Nepal is yet to come
out of the tragedy of the earthquake, these developments would hurt any
humanitarian country in the world.
In this context, we urge continuing flexibility on the part of all
the political forces so that any outstanding issues are addressed
through dialogue and widest possible agreement, in an atmosphere free
from violence. A Constitution, which is fully owned by and accommodates
the aspirations of all regions and sections of the Nepalese society,
will lay a durable foundation for a peaceful and prosperous Nepal and
will become the focal point for Nepal’s bright future.
Nepal’s political parties, organizations and intellectuals have
always displayed maturity and foresight in times of crises. It is only
with their continued leadership and wisdom that Nepal can overcome its
current difficulties. A durable and resilient Constitution is necessary
to build a modern Nepal. We hope that Nepal’s leaders will leave no
stone unturned in their efforts.
Government of India is committed to further strengthening its close
and cordial relations with the Government and people of Nepal and will
continue to provide all support and assistance, in accordance with the
aspirations of the people of Nepal for peace, stability and
socio-economic development.
भारत के विदेश मंत्री द्वारा दिया गया वक्तव्य
भारत ने सर्वदा शांति, स्थिरता, एकता तथा नेपाल के विकास का समर्थन किया है। गत दो दशकों के दौरान हम नेपाल में हिंसा, अस्थिरता, आंतरिक संघर्ष तथा राजनीतिक कलह और इसके नकारात्मक परिणामों के गवाह रहे हैं। नेपाल इस संकट से उबरा भी नहीं था कि अप्रैल, 2015 में एक भयानक भूकंप ने देश में बर्बादी तथा महाविनाश की स्थिति उत्पन्न कर दी।
संकट चाहे राजनीतिक हो या प्राकृतिक, भारत सरकार ने हमेशा नेपाल की समृद्धि तथा कल्याण की कामना की है और वह किसी भी प्रतिकूल स्थिति में नेपाल की सहायता को अपना परम कर्तव्य मानती है।
विगत कुछ महीनों के दौरान नेपाल का राजनीतिक नेतृत्व आपसी परामर्श व संवाद के जरिए संविधान का प्रारूप तैयार करने के अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य में लगा हुआ है।
दूर बैठे सभी नेताओं की ओर से यह उत्साहवर्धक आवाज़ सुनाई देती थी कि संविधान सभी क्षेत्रों और वर्गों को साथ लेकर तथा नेपाल के उज्ज्वल भविष्य का केंद्र बिन्दु बनकर एक प्रगतिशील, आधुनिक और संघठित नेपाल का निर्माण करेगा । सभी राजनीतिक नेताओं का यह स्वर भारत में सभी को सबसे अधिक प्रसन्नता देता है।
नेपाल के राजनीतिक नेतृत्व ने गत वर्षों के दौरान इन चुनौतियों का सामना करने में बुद्धिमत्ता व परिपक्वता का प्रदर्शन किया है जिसके परिणामस्वरूप शांति प्रक्रिया प्रारंभ करने तथा दो सफल चुनावों के जरिए समावेशी बहुदलीय संवैधानिक लोकतंत्र को ठोस बनाने में काफी सफलता मिली है। शांति प्रक्रिया में नेपाल की उप्लब्धियों की हम सराहना करते हैं।
हम संविधान के अनुमोदन की ओर संविधान सभा द्वारा हाल ही में की गई प्रगति का स्वागत व प्रशंसा करते हैं, क्योंकि इस प्रक्रिया के जरिए कई विवादास्पद मुद्दों का समाधान कर लिया गया है।
भारत नेपाल के कई भागों में चल रहे विरोध आंदोलनों तथा संघर्ष से चिंतित हैं। भयंकर हिंसा ने फिर एक बार नेपाल की आत्मा को झकझोर दिया हैं। मरने वाले चाहे वे नेपाली नागरिक हो या सरकारी मुलाज़िम, सभी घटनाओं में जो खून बहा है वह नेपाल का ही खून था। भूकंप की गहन त्रासदी से अभी उबरना बाकी है। ऐसे में यह गंभीर स्थिति संसार में किसी भी मानवतावादी देश को चोट पहुंचाती है ।
इस परिप्रेक्ष्य में हम सभी राजनीतिक पक्षों से लचीला रुख अपनाने की अपील करते हैं ताकि शेष मुद्दों का समाधान यथासंभव अधिकतम समझौते से तथा हिंसामुक्त परिवेश में किया जा सके। नेपाल के अलग –अलग भागों तथा समाज के सभी वर्गों को पूरी तरह स्वीकार्य तथा उनकी आकांक्षाओं का ध्यान रखने वाला संविधान शांतिपूर्ण व संपन्न नेपाल की सुदृढ़ आधारशिला रख सकेगा तथा नेपाल के उज्ज्वल भविष्य का केंद्र-बिंदु बनेगा।
नेपाल के राजनीतिक दल, संगठन तथा बुद्धिजीवी वर्ग ने संकट के समय हमेशा परिपक्वता तथा दूरदर्शिता का प्रदर्शन किया है। उनके सतत नेतृत्व तथा बुद्धिमत्ता के कारण ही नेपाल वर्तमान कठिनाइयों पर विजय प्राप्त कर सका है। आधुनिक नेपाल के निर्माण के लिए स्थायी एवं मज़बूत संविधान आवश्यक है और हम आशा करते हैं कि नेपाली नेतृत्व इस संबंध में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगा।
भारत सरकार नेपाल की सरकार तथा वहां के लोगों के साथ उत्साहपूर्ण व हार्दिक संबंधों को और सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और वह नेपाल के लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप शांति, स्थिरता तथा सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु सभी प्रकार की सहायता प्रदान करती रहेगी।
*****
14 सितम्बर 2015
भारत के विदेश मंत्री द्वारा दिया गया वक्तव्य
भारत ने सर्वदा शांति, स्थिरता, एकता तथा नेपाल के विकास का समर्थन किया है। गत दो दशकों के दौरान हम नेपाल में हिंसा, अस्थिरता, आंतरिक संघर्ष तथा राजनीतिक कलह और इसके नकारात्मक परिणामों के गवाह रहे हैं। नेपाल इस संकट से उबरा भी नहीं था कि अप्रैल, 2015 में एक भयानक भूकंप ने देश में बर्बादी तथा महाविनाश की स्थिति उत्पन्न कर दी।
संकट चाहे राजनीतिक हो या प्राकृतिक, भारत सरकार ने हमेशा नेपाल की समृद्धि तथा कल्याण की कामना की है और वह किसी भी प्रतिकूल स्थिति में नेपाल की सहायता को अपना परम कर्तव्य मानती है।
विगत कुछ महीनों के दौरान नेपाल का राजनीतिक नेतृत्व आपसी परामर्श व संवाद के जरिए संविधान का प्रारूप तैयार करने के अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य में लगा हुआ है।
दूर बैठे सभी नेताओं की ओर से यह उत्साहवर्धक आवाज़ सुनाई देती थी कि संविधान सभी क्षेत्रों और वर्गों को साथ लेकर तथा नेपाल के उज्ज्वल भविष्य का केंद्र बिन्दु बनकर एक प्रगतिशील, आधुनिक और संघठित नेपाल का निर्माण करेगा । सभी राजनीतिक नेताओं का यह स्वर भारत में सभी को सबसे अधिक प्रसन्नता देता है।
नेपाल के राजनीतिक नेतृत्व ने गत वर्षों के दौरान इन चुनौतियों का सामना करने में बुद्धिमत्ता व परिपक्वता का प्रदर्शन किया है जिसके परिणामस्वरूप शांति प्रक्रिया प्रारंभ करने तथा दो सफल चुनावों के जरिए समावेशी बहुदलीय संवैधानिक लोकतंत्र को ठोस बनाने में काफी सफलता मिली है। शांति प्रक्रिया में नेपाल की उप्लब्धियों की हम सराहना करते हैं।
हम संविधान के अनुमोदन की ओर संविधान सभा द्वारा हाल ही में की गई प्रगति का स्वागत व प्रशंसा करते हैं, क्योंकि इस प्रक्रिया के जरिए कई विवादास्पद मुद्दों का समाधान कर लिया गया है।
भारत नेपाल के कई भागों में चल रहे विरोध आंदोलनों तथा संघर्ष से चिंतित हैं। भयंकर हिंसा ने फिर एक बार नेपाल की आत्मा को झकझोर दिया हैं। मरने वाले चाहे वे नेपाली नागरिक हो या सरकारी मुलाज़िम, सभी घटनाओं में जो खून बहा है वह नेपाल का ही खून था। भूकंप की गहन त्रासदी से अभी उबरना बाकी है। ऐसे में यह गंभीर स्थिति संसार में किसी भी मानवतावादी देश को चोट पहुंचाती है ।
इस परिप्रेक्ष्य में हम सभी राजनीतिक पक्षों से लचीला रुख अपनाने की अपील करते हैं ताकि शेष मुद्दों का समाधान यथासंभव अधिकतम समझौते से तथा हिंसामुक्त परिवेश में किया जा सके। नेपाल के अलग –अलग भागों तथा समाज के सभी वर्गों को पूरी तरह स्वीकार्य तथा उनकी आकांक्षाओं का ध्यान रखने वाला संविधान शांतिपूर्ण व संपन्न नेपाल की सुदृढ़ आधारशिला रख सकेगा तथा नेपाल के उज्ज्वल भविष्य का केंद्र-बिंदु बनेगा।
नेपाल के राजनीतिक दल, संगठन तथा बुद्धिजीवी वर्ग ने संकट के समय हमेशा परिपक्वता तथा दूरदर्शिता का प्रदर्शन किया है। उनके सतत नेतृत्व तथा बुद्धिमत्ता के कारण ही नेपाल वर्तमान कठिनाइयों पर विजय प्राप्त कर सका है। आधुनिक नेपाल के निर्माण के लिए स्थायी एवं मज़बूत संविधान आवश्यक है और हम आशा करते हैं कि नेपाली नेतृत्व इस संबंध में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगा।
भारत सरकार नेपाल की सरकार तथा वहां के लोगों के साथ उत्साहपूर्ण व हार्दिक संबंधों को और सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और वह नेपाल के लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप शांति, स्थिरता तथा सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु सभी प्रकार की सहायता प्रदान करती रहेगी।
*****
14 सितम्बर 2015
हमें प्रसंशा से से ज्यादा सीमापार लगाईगइ ब्लाकेड हटादेने से ज्यादा अच्छी लगती है . भूकम्प से पिडित देश के विरुद्ध नाकावन्दी कर बैठे और अब प्रसशाकी बाडी भी आजाए हमें कुछ नहीं होगा . इस गैर इन्सानियत कार्य के खिलाफ हम अन्तरास्ट्रिय अदालत तक पहुच सकते है
ReplyDelete