महात्मा गान्धी, भारतको सुप्रसिद्ध राजनीतिज्ञ हुन । मुख्यतः अहिसात्मक राजनीतिक आन्दोलनका पर्यावाची गान्धीको जन्म जयन्तीको अवसरमा संयुक्त राष्ट्र संघले अहिसात्मक दिवस (शान्ति दिवस)को घोषणा गरिसकेको छ । गान्धीको राजनीतिक मान्यता र सिद्धान्तलाई पछयाउनेहरु विश्वभरमा धेरै नै छन तर भारतीय नागरिक नाथुराम गोडसेले उनको हत्या गरिदिए । भारतका महान नेतालाई किन आफनै नागरिकले हत्या गरे त ? यो प्रश्नको उत्तर धेरैलाई थाहा नहुन सक्छ, यदी थाहा छ भने थप जानकारी मिलोस भनेर यो ब्लग एक भारतीय अनलाइनवाट साभार गरेर यहाँ राखेको छु ताकी गान्धी र उनको हत्याका बारेमा अधिकत्तम जानकारी यस ब्लगका पाठकलाई मिलोस ।
हम सब बचपन से गांधी की कहानियां सुनते आये हैं, सबको पता है की बिडला हाउस के पास 20 जान्युआरी 1948 के दिन नथुराम गोड्सेने महात्मा गांधी की हत्या करी थी। इस वाक्या के बाद गोड्से को गिरफ्तार कर लिया गया
बतादें की 17 फरवरी 1947 में केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने गांधी की हत्या की जांच करने के वासते तीन पुलिस अफसर की एक समिति बनाइ थी। इस समिति में बोम्बे के तत्कालीन डेप्युटी कमिशनर जमशेद दोराब नगरवाला का भी समावेश कीया गया था। इसके पहले दिल्ली पुलिस को जांच कार्य सोंपा गया था लेकिन उनका कार्य आकर्षक न होने के कारळ सरदार वल्लभ भाइ पटेल ने यह जिम्मेदारी बोम्बे पुलिस को सोंप दी थी।
इस मामले में 101 साक्षी की जुबानी ली गइ थी और 407 डोक्युमेन्ट रजू कीये गए थे। 22 जूव 1948 को नथुराम गोड्से और तीन साथी आरोपी पर ट्रायल शरू किया गया था। 15 नवम्बर 1949 को गोड्से को फांसी पे लटका दीया गया था।
बता दें की पहले भी 1934, मइ 1944 और सप्टेम्बर 1944 को महात्मा गांधी की हत्या करने का प्रयास किया गया था।
महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने हत्या के पीछे का कारळ रजू किया था। इस हत्या के पीछे संघ के विनायक सावरकर का हाथ होने की जानकारी देते हुए कहा की सिर्फ गांधी द्वाष की वजह से हत्या की गइ थी, 55 करोड का शिकार तो सिर्फ जुठा समर्थन कराने का षडयंत्र था। बता दें की जब भारत दो भागों में बटा तब वाइसरोय ने पाकिस्तान को 75 करोड की सहायता करने के लिए बोला था। महात्मा गांधी भी इस बात से सहमत हो गए थे और 20 करोड शुरू में ही दे दीए थे लेकिन बाकी के 55 करोड देने से भारतीय नेता मुकर गये। इस वक्त महात्मा गांधी को बहोत बुरा लगा और उन्हों ने पाकिस्तान को रूपियों की सहाय दिलवाने के लिये उपवास रखा। महात्मा गांधी की जिद के सामने किसी की बहस न चली और पाकिस्तान को आखिरकार 55 करोड देने ही पडे।
तुसार गांधी कहते हैं की यह 55 करोड का शिकार का कारळ आगे रखकर गांधी हत्या को जुठा समर्थन दिया गया। हालांकी पाकिस्तान को 55 करोड देने से पहले ही गांधी हत्या का षडयंत्र रचा गया था। हिंदु धर्म की रक्षा करने के लिये गांधी की हत्या की गइ हो ऐसा प्रचार किया गया। गांधी की वजह से देश के दो भाग हुए है ऐसे जुठा प्रचार करके नथुराम गोड्से को भगवान बनाने की कोशिश की गइ थी। जबकी गांधी तो दोनो देश को अलग करना चाहते ही नहीं थे।
मोहम्मद जिन्हा ने सिर्फ उच्च होद्दें पाने के लिये अलग देश की मांग की थी। गांधी ने यह मांग ठुकरा कर भारत में ही मुस्लिम भाइओं को भी उच्च होद्दे पर नियुक्त करने का वादा किया था लेकिन जवाहरलाल नहेरू और सरदार वल्लभभाइ पटेल ने इस फैसले का विरोध करके बताया की बापु मुस्लिम की तरफ ज्यादा जुक रहे हैं ऐसा सोच के हिन्दु खफा हो सकते हैं और दंगे फसाद बढने का भी चान्स रहेगा। बापुने इस बात पर गौर करके जिन्हा को आजाद पाकिस्तान स्थापित करने की अनुमति दे दी थी। बता दें की गोड्से ने बताया था की उसने तात्याराव की आज्ञा से गांधीका खून किया था।
पाकिस्तान के न्यूज पेपर में भी गांधी को आस्था के साथ श्रद्धांजली दि गइ। तो कवि फैज अहमद फैज ने गांधी को मुस्लिमो की आशा और हिंमत का प्रतिक दर्शाते हुए कहा की गांधी की हत्या से दोनो देश को घाटा हुआ है।
था और सीएसटी के पास वाली पुलिस की स्पेशल ब्रान्च की ऑफिस रूम में गोड्से की पूछताछ की गइ। हालांकी लोग गुस्से में आ कर कोइ जान से मार देंगे इस डर की वजह से गोड्से को कहां रखा गया था उस बात को गुप्त रखी गइ थी।
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